Mantra Shakti

Mantras are very powerful and helpful to manifest desired situation in life. Here, We have tried to give you Introduction of all types of Mantras and its uses. There are many mantras and yantra, each one is useful, it upto you,one should select mantra based on nature and desire. we advise you to take expert advise before you start any mantra anusthan.

सत्य : Truth

  मन, वाणी और कर्म तीनों में समान रूप-से यथार्थ का व्यवहार करना ही सत्य है। जो साधक इनके विरुद्ध आचरण में लिप्त होता है, उसमें सत्यता नहीं है। सत्य की स्थिति के दृढ़ होने पर क्रियाफल के आश्रय का भाव उपस्थित हो जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि साधक को सत्य की सिद्धि होने पर उसकी उपलडि होती है और वो जो चाहता है, उसकी पर्ति में कोई बाधकता उपस्थित नहीं होती है। ___मनसे सोचेजाने पर ही कोई कार्य होता है। उसकी रूपरेखा "पी मन ही बनाता है। मन को असत्य से हटाकार यथार्थ कम करन का निर्णय लेना ही मानसिक सत्य है। इसके आधार पर ही साधक अपने आचरण को ठीक रख सकता है। जो अपने मन को असत्य की ओर प्रवृत्त करते हैं, वो निश्चय ही अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर सकत! मन का सत्य में पूर्णरूप-से प्रतिष्ठित हो जाना असर पर विजय प्राप्त करना है।

असत्य भाषण भी व्यक्ति के उत्कर्ष में बाधक होता है इसलिए विद्वान् महर्षियों ने सदा सत्य बोलनाही श्रेयष्करमा और सत्य भी हितमाही बोलना चाहिए। सत्य भाष सिनियां समाविष्ट हैं। महाभारत का प्रसंग है कि

हए। सत्य भाषण में अनेक का प्रसंग है कि युधिष्ठिर की सत्यसिद्धि के प्रभाव वश उसके रथ के चक्र (पहिए) भूमि का स्पर्श न करके कुछ उठे हुए रहते थे। किन्तु उसके मुख से, “अश्वत्थामा हतः नरा व कुंजरो", अर्थात् अश्वत्थामा मारा गया, पता नहीं वह मनुष्य था या हाथी; बह निकलते ही उसके रथ के चक्र भूमि पर जमकर चलने लगे। ऐसा इस कारण हुआ कि युधिष्ठिर का उक्त कथन सत्य नहीं था।वह जानता था कि जो अश्वत्थामा मारा गया, वो हाथो था मनुष्य नहीं, उसके इस वचन से द्रोणाचार्य को भारी कष्ट हुआ और युधिष्ठिर की वाणी की सत्यता भी नष्ट हो गई।

मनसेसोचाहुआसत्य वाणीयाशरीर से क्रियान्वितहोसकता है।यदिमनसे सत्यकोस्वीकार करतेहुए भयवाणी से असत्य बोलने लगेअथवाशरीरसे असत्यकाआचरण करने लगे,तो किसी का भी सत्य मन सेस्वीकार करना व्यर्थ ही होगा।सत्य में बड़ी शक्ति है जो लोगसत्यको हीधर्ममानते हैं, उनकी मान्यतामें अवश्य ही तथ्य है, क्योंकि सत्य वो ही है जो चिरस्थायी हो, अस्थायी वस्तुसत्य नहीं हो सकती।असत्य बोलकर धनतोकमायाजासकता है, किन्तु जीवन का लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता।

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