Mantra Shakti

Mantras are very powerful and helpful to manifest desired situation in life. Here, We have tried to give you Introduction of all types of Mantras and its uses. There are many mantras and yantra, each one is useful, it upto you,one should select mantra based on nature and desire. we advise you to take expert advise before you start any mantra anusthan.

अहिंसा - Non Violence

 

 मन, वाणी और शरीर से कभी किसी प्राणी को संतप्त न . , करना अहिंसा है। विद्वानों ने वैरागी, संन्यासी और योगी के लिए यह आचरण निर्धारित किया है कि वो किसी के द्वारा अपमानित होने पर भी उसके अपकार का विचार न करे। कोई अपशब्द कहे, तो उसे इस प्रकार सहन कर ले कि वह अपशब्द उसके कानों ने सुने ही नहीं हैं। कोई मारे, तो भी उसके प्रति क्रोध न करे, सदा निर्विकार मनते रहे और एक बालक की भांति चेष्टा रखे।अभिप्राय यह है, जैसे एक बालक दूसरे बालक से पिटकर भी उसके द्वारा किये गए तिरस्कार को थोड़ी देर में ही भूल कर उसके साथ पहले जैसा ही सरल व्यवहार करने लगता है, ठीक वैसा ही आचरण सिद्ध पुरुष, साधु-संन्यासी और विद्वान मांत्रिक को करना चाहिए।

किसी भी प्रकार के साधक को अपनी कठोर वाणी के द्वारा . किसीकाअपमानभीनहींकरनाचाहिए,क्योंकिकठोरवाणीहथियार से भीगहराघाव करतीहै।हथियार सेचाहे किसी मर्मस्थानकाछेदन होयान हो, किन्तु वाणी तो हृदय को ही छेद डालती है। उसके द्वारा कियागयाक्षतकिसीभीप्रयलसेनहीं भरता।अतःयोग्यमंत्र-साधक को किसी के भी प्रतिकभी कट शब्दों काप्रयोग नहीं करना चाहिए। कटु शब्द बोलने से तो मौन रहना ही अच्छा है।

जो साधक अपने वचनों में मिठास नहीं ला सकते, उन्हें निःसंदेह मौनव्रत का आचरण करना चाहिए, क्योंकि उत्तेजना प्रायः क्षणिक होती है और मौन रहने से वाद-विवाद नहीं बढ़ता, इसलिए

 कटता का प्रसंग भी शांत हो जाता है और वाणी की रत्तेजना शांत पड़ जाती है। साधना की प्रारंभिक अवस्था में केवल मौन रहने से कार्य चल सकता है। धीरे-धीरे चित्त को विकार-रहित करने का साधक को अभ्यास करना चाहिए, जिससे कि किसी के द्वारा किये गए तिरस्कार से किसी प्रकार की उत्तेजना का उदय न हो। .. अपने बल द्वारा दूसरे को, उसके शरीर को पीड़ा हिंचाना हिंसा है। इसलिए साधक को सदैव परहित-चिंतन में लगे रहना चाहिए, जिससे कि शारीरिक हिंसा के लिए विचार ही उत्पन्न न होने पाए। ध्यान रहे, जो मनुष्य आत्मसुख के लिए आहंसक प्राणियों का वध करता है, वो इस जीवन में अथवा मरने पर भी सुख को प्राप्त नहीं करता।

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