Mantra Shakti

Mantras are very powerful and helpful to manifest desired situation in life. Here, We have tried to give you Introduction of all types of Mantras and its uses. There are many mantras and yantra, each one is useful, it upto you,one should select mantra based on nature and desire. we advise you to take expert advise before you start any mantra anusthan.

प्रवेश- Mantra Sadhana Introduction

मंत्र-शक्ति का प्रभाव असीम है। इसका प्रमाण इस बात से दिया जा सकता है कि जहां आज का आधुनिक जड़ विज्ञान परास्त, मूक और असमर्थ हो जाता है, वहां मंत्र-शक्ति का चमत्कार आज भी दृष्टिगोचर होता है। वर्तमान युग का प्राणी (मनुष्य) सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं रखता प्रमाणों पर ही उसकी श्रद्धा होती है। स्वयं को अंतरिक्ष युग का प्राणी समझता है। इसका कारण है, विज्ञान पर उसका अगाध विश्वास का होना ! इस पर भी वो मन से अशांत है, केवल मंत्र ही इस अशांति को दूर कर सकता है, क्योंकि पूर्ण विधान से किया गया मंत्र-जप शत-प्रतिशत फलप्रद होता है । मंत्र-शक्ति के द्वारा बहुत कुछ किया जा सकता है। आज भी अनेक ऐसे मंत्रज्ञ विद्यमान हैं जिनकी साधना का प्रभाव बड़े-बड़े भौतिक वैज्ञानिकों को भी विस्मयग्रस्त कर देता है। पाल बेंट्स, हानसांग, वास्कोडिगामा, फाहियान, कीरो, इब्नबतूता, टॉमस मुनरो और मेगस्थनीज आदि ने भारतीय मंत्र-शक्ति के प्रभाव और उसकी उपयोगिता को स्वीकार किया। उनका मंत्र-शक्ति पर विश्वास करना उचित भी था, क्योंकि मंत्र-विद्या वास्तव में सर्वाधिक उपयोगी और शक्तिशाली है। इसका समुचित प्रयोग करके दैहिक, दैविक और भौतिक अनेक विपदाओं का निराकरण किया जा सकता है।

मंत्र-ज्ञान और उसका उचित व संतुलित प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति के लिए संकटं-निवारक, समस्या समाधानकारक और समृद्धिकारी हो सकता है। वैसे भी हम अपने दैनिक जीवन में नियमित रूप-से विधि-विधान द्वारा मंत्र साधना करते हैं। उसके प्रभाव से हमें शांति, सुरक्षा, समृद्धि और सत् की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजा-पाठ करना, दूकान आदि पर धूप जलाकर मंत्रोच्चारण करना मंत्र-साधना ही तो है।

मंत्रों में अनके प्रकार की शक्तियां निहित होती हैं, जिनके कारण मनुष्य का अंतःकरण स्थिर और सबल हो जाता है की स्थिरता की मनोदशा में व्यक्ति की कार्य-शक्ति भी बढ़ जाती है। मंत्रों के द्वारा जटिल और असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी संपादित कर लिए जाते हैं; मंत्र-निर्माण कोई सहज क्रिया नहीं है। मनीषियों ने वर्षों के अनुभव और श्रम के पश्चात् उसके निर्णायक सिद्धांतों की स्थापना की थी।

मंत्र एक ऐसा सूक्ष्म, किन्तु महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जिसके द्वारा स्थूल पर नियंत्रण किया जाता है; विराट् को स्फूर्तिमान रखने का अनूठा साधन है और पिंड में ब्रह्मांड को देखने की दृष्टि है। प्रकृति को वश में करने की अपूर्व शक्ति मंत्र में विराजमान है। यद्यपि आज भौतिक विज्ञान की प्रतिष्ठा के कारण जन-साधारण का विश्वास मंत्र-साधना के प्रति शिथिल बन रहा है। इसका एक दूसरा कारण भी है, यदि कोई व्यक्ति मंत्र-शक्ति की कोई पुस्तक पढ़कर उसमें लिखा कोई मंत्र-प्रयोग करता है और उसमें असफल हो जाता है, तो वो इस शास्त्र को झूठा कहने में संकोच नहीं करता, बल्कि इसको निराधार कल्पना तथा अंधविश्वास कहकर उपहास करता है। जबकि शास्त्रों के कथन गणितीय सत्य हैं। आज का मनुष्य भौतिक विज्ञान के आविष्कारों से चमत्कृत हो रहा है। एक तरह से विज्ञान का दास बन गया है, किन्तु भौतिक विज्ञान से भिन्न प्रकार का यह मंत्र विज्ञान है। यह विज्ञान और इसकी अलौकिक सिद्धियां धन से क्रय नहीं की जा सकतीं। यह सूक्ष्म विज्ञान है, सचेतन शास्त्र है तथा अंतर्मुखी सिद्धि है। इसकी सत्यता को किसी की स्वीकृति की अपेक्षा नहीं।

प्राचीन ग्रंथों से हमें यह विदित होता है कि सहस्त्रों वर्षों पूर्व के व्यक्तियों में इतनी प्रबल इच्छा-शक्ति होती थी कि वो कठिनतम साधना करके भी मंत्र-सिद्धि प्राप्त कर लेते थे। यद्यपि वो भौतिकता केदास नहीं थे और वो केवल लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होकर ही ये मंत्र-सिद्धि प्राप्त करते थे। उनकी मंत्र साधना

बहुआयामी होती थी। एकेक साधक कितने ही मंत्रों की शक्ति प्राप्त किए रहता था और समयानुसार उसका प्रयोग करता था। मंत्र शब्द बहुत व्यापक है। यह मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह ज्ञान का प्रवेश द्वार है और साथ ही समस्त दैवी-शक्तियों का वायव्य रूप भो।अध्यात्म साधना में मंत्र को बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसके बिना कोई भी साधना कभी पूर्ण नहीं होती। मंत्र-साधना में तो मंत्र की प्रमुखता है ही, यंत्र और तंत्र के प्रयोग में भी उसे वरीयता प्राप्त है। सम मंत्रों में अद्भुत शक्ति का जो निवास है, वह किसी विशेष प्रक्रिया के द्वारा विभिन्न वर्गों की संयोजना से संजोई गई है। जिन अक्षरों के परस्पर समंवय से मंत्र बनते हैं, वो इस प्रकार मिलाए जाते हैं कि जिस प्रकार धातु और रासायनिक पदार्थों को विचारपूर्वक मिलाने से उसमें विद्युत की शक्ति प्रकट होती है, उसी प्रकार शक्तिमान् उस अक्षर समूह के सूक्ष्म विचारपूर्वक मिलने के कारण मंत्र में अद्भुत शक्ति प्रवाहित हो जाती है। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार शब्द का प्रयोग करने वाले की प्राण-शक्ति, और वाणी-शक्ति के द्वारा शब्द में अपूर्व शक्ति आ जाती है और जिसके द्वारा श्रोताओं के ऊपर प्रभाव पड़ता है, उसी प्रकार मांत्रिक (साधक) के अतंःकरण की शुद्धि-शक्ति, भाव-शक्ति, प्राण-शक्ति और संयम-शक्ति के द्वारा मंत्र प्रयुक्त होने पर उसमें असाधारण शक्ति आ जाती है। यही कारण है कि ऐसे शक्ति-संपन्न मंत्र का जहां प्रयोग किया जाए, वह इच्छित फल प्रदान किए बिना नहीं रहता।

यहां यह भी स्मरणीय है कि प्रलोभनवशं अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा परहानि के लिए मंत्रों का प्रयोग किया जाना न तो उचित होता है और न हितकर ही। मंत्रों का प्रयोग उत्तम एवं शुद्ध भावना से सर्वकल्याण के लिए होना चाहिए, लालसावश किसी भी दुरुपयोग के लिए नहीं !


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