Mantra Shakti

Mantras are very powerful and helpful to manifest desired situation in life. Here, We have tried to give you Introduction of all types of Mantras and its uses. There are many mantras and yantra, each one is useful, it upto you,one should select mantra based on nature and desire. we advise you to take expert advise before you start any mantra anusthan.

मंत्र के नियम

गोपनीयता

 साधना  में मंत्र के संबंधित बातों को गोपनीय रखा जाता है वही सब के लिए हितकर रहता है इसका कारण यह है कि साधना को प्रकट करने से अनेक प्रकार के विज्ञापन उपस्थित हो जाते हैं हवन और जाप के समय अनगिनत अदृश्य आत्माएं आसपास आकर उपद्रव मचाने लगती है जो उपस्थित लोगों को भारी हानि पहुंचा सकती है इसलिए आप साधना में लीन हो तो आपके आसपास कोई भी नहीं होना चाहिए ना आपकी साधना को देखने वाला ना आप को रोकने टोकने वाला और नहीं आपसे बातचीत बातचीत करने वाला अपने बचाव हेतु आपको अपना प्रत्येक कार्य गुप्त रखना होगा
तर्पण
जलांजलि पूर्वक मंत्र उच्चारण से तर्पण संपन्न होता  है संध्या के पश्चात देव ऋषि और मनुष्य तर्पण किया जाता है तथा प्रत्येक मंत्र का पुरश्चरण यानी की पूर्व आचरण जब किया जाता है तो उस में जप का दशांश हवन और हवन का हवन का दशांश तर्पण शास्त्र भी है यह मंत्र देव के प्रति श्रद्धा निवेदन किया कि क्रिया है

बलि कर्म
इस में  मंत्र   संबंधित देवताओं के लिए निवेदन अर्पण किया जाता है मंत्र विशेष अथवा देवता विशेष के अनुरोध से विशिष्ट वस्तुओं का समर्पण भी इसमें होता है किंतु किसी प्रकार की हिंसा का इसमें कोई स्थान नहीं है अभिचार कर्म में  में जीव बली को भी महत्व दिया जाता है

आग्नेय एवं  सौम्य मंत्र
जो मंत्र पृथ्वी अग्नि और आकाश तत्व संयुक्त होते हैं वे आग्नेय कहलाते हैं तथा जल वायु तत्व से युक्त होते हैं वह सामने कहलाते हैं इसकी पहचान यह है कि आग्नेय मंत्रों के साथ नमक अंत में लगे जाने पर भी सॉन्ग में बन जाते हैं और सौम्य मंत्र के साथ फट अंत में लग जाने से वह आदमी बन जाते हैं इन्हें ही शुड और सौम्य से संयुक्त संबोधित किया जाता है किंतु यह सभी मंत्रों के लिए निश्चित नियम है ना होकर केवल एकांतिक नियम कहा जाता जा सकता है क्योंकि अनेक मंत्र इसके अपवाद स्वरुप भी होते हैं आदमी अथवा शाबर मंत्र योग्य कर्म के लिए प्रशांत प्रशस्त माने गए हैं अर्थात मारण उच्चाटन और विद्वेषण जैसे कर्म के लिए उन्हें उचित माना गया है किंतु सौम्य मंत्र केवल शांति कर्म के लिए ही सिद्ध होते हैं  

मंत्र भेद परिचय
 कूट -अकुट मंत्र शब्दों की रचना कुछ वर्णों की योजना पर निर्भर है उठ मंत्र वर्ण शक्ति से ही परिपूर्ण होते हैं अर्थात एक अथवा एक से अधिक वर्णों के मिश्रण से बने हुए मंत्र ऊं मंत्र कहलाते हैं यह पद्धति ओम मंत्र के द्वारा सरलता से समझी जा सकती है और इन तीन वर्णों के योग से ओम बन जाता है इन तीन वर्णों के योग से ओम बन जाता है जिसे लिपि की दृष्टि से मंत्र अथवा मूर्ति का आकार देकर ओम बना दिया जाता है इस में  अ कार विष्णु के अर्थ को  ऊं  ब्रह्मा के अर्थ को तथा म शिव के अर्थ को प्रदर्शित किया जाता है तात्पर्य यह है कि उप वर्ण से विष्णु ब्रह्मा और शिव तीनों देवों का बोध होता है इसलिए इसे कूट मंत्र कहते हैं अर्थात जिस मंत्र से अनेक वर्ण परस्पर संयुक्त मंत्र है जिसमें कूट के रूप में वर्ण संयोग ना होकर समाज वर्ण योजना हो यह अकुट मंत्र हो जाता है

सिद्ध मंत्र
सिद्ध मंत्रों में एक विशिष्ट शक्ति रहती है जो सिद्ध पुरुषों की चेतन शक्ति को शब्दों में आश्रय से प्रकट करके मनुष्य पर अपना तात्कालिक प्रभाव दिखाती है स्कूटी के मंत्र बड़े सौभाग्य से प्राप्त होते हैं यदा कदा जिन महा अनुभव की कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती है उन्हें एक महाशक्ति की कृपा से सिद्ध मंत्र प्राप्त हो जाते हैं प्रयोग से कुंडलिनी शक्ति जागृत होने पर मंत्र योग का प्रस्फुटन होता है मंत्री के बच्चे मन एकाग्र हो जाता है तथा दुरुपयोग का विरोध हो कर लो होने लगता है इस प्रकार हठयोग से मंत्र और मंत्र से लाभ तथा इसे राज्यों की प्राप्ति होती है सिद्ध मंत्र की प्राप्ति सिद्ध गुरु के द्वारा ही प्राप्त होती है ऐसे मंत्र को  सिद्ध करने की भी आवश्यकता नहीं होती

सात्विक मंत्र यह मंत्र आत्मशुद्धि में उपकारक है
राजसिक मंत्र यह मंत्र यज्ञ ऐश्वर्या तथा गोगा दीक्षित बस्तियों वस्तु प्रदान करते हैं
तामसिक मंत्र यह मंत्र मारण उच्चाटन आदि से शत्रुओं का संहार करने में उपयोग में आते हैं


मंत्र दीक्षा
संसार के समस्त वस्तुओं का ज्ञान और संसार के बंधन से मुक्ति इन दोनों कार्यों को अपनी सिद्धि द्वारा संपन्न कराने का कार्य मंत्र द्वारा होता है इसके साथ ही अपने इष्टदेव के स्वरूप का बोध कराने वाले विशिष्ट अक्षरों की योजना से बने हुए ऐसे मंत्र तभी उत्तम माना जाथा है जबकि वह गुरुद्वारा विधिवत प्राप्त हुआ हो

शिखा बंधन

मंत्र से संबंधित सभी कर्म शिखा बांधकर करनी चाहिए यहां तक कि यदि किसी की चोटी के बाल उड़ गए हो तो उसे कुशा की चोटी बनाकर अपने दाहिने कान पर  रख कर  करनी चाहिए

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