अष्टादश अक्षर मंत्र मंत्र-महोदधि के अनुसार है इस मंत्र को किसी शुभ समय स्नान एवं संध्या आदि कर्मों से निवृत होकर प्रारंभ करना चाहिए मूल मंत्र का पुरश्चरण विधि से लक्ष्य बार जप करना चाहिए जप का दशांश हवन, हवन का दशांश मार्जन, मार्जन का दशांश तर्पण एवं तर्पण का दशांश या यथाशक्ति ब्राह्मण भोजन करना चाहिए मंत्र के सिद्ध होने पर हनुमान जी प्रसन्न होकर साधक को इच्छित वर देते हैं मंत्र यह है
ओम नमो भगवते आंजनाय महाबलाय स्वाहा |
Mantra wrong hain mantra aanjnay ke sthan par aanjneyay mantra mahodadhi mere pas bhi hain bo bhi shukdev chaturvedi ki translated galti ko shudharo
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